मानवीय इम्युनो वाइरस (एच.आई.वी) एक व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली का नष्ट कर देता हैं, जिसकी रोग से लड्ने सिडि ४ कोशिकाओं (CD4 cell) की उत्तरोत्तर नष्ट कर देता हैं । एड्स के रुप मे जाना एक्वायर्ड इम्युनो सिंड्र्म, एचआईबी संक्रमण की अन्तिम चरण हैं ।
एड्स बढ्ने कि पुष्टि तब हो जाती हैं जब सिडि ४ कोशिकाओं का (CD4) गिन्ति एक महत्वपूर्ण स्तर से निचे गिर जाता हैं, और या व्यक्ति मे संक्रमण या संक्रमण से सम्बन्धित क्यान्सर बिकसित हो जाता हैं, जो कि आम तौर पर एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर मे प्रकट नहि करते हैं । एच.आई.वी विषाणु के दो नस्ले हैं - एच.आई.वी-१ और एच.आई.वी-२ । एच.आई.वी-१ पुरे विश्व पर बितरित हैं जबकि एच.आई.वी-२ अफ्रिकि देशोंमे पाया जाता हैं ।
एच.आई.वी रोग तीन चरणोंमे वर्गीक्रित किया जा सकता हैं - तीव्र संक्रमण, नैदानिक विलंबता और अंत मे एड्स । एच.आई.वी सभी चरणों मे संक्रामक होता हैं - इस बात को ध्यान मे रखना जरुरी हैं ।
तीव्र संक्रमण :
बहुत से लोग एच.आई.वी ग्रस्त होने के बाद २-४ सप्ताह के भीतर एक या अधिक फ्लू जैसे लक्षण अनुभव करते हैं । इसको एक्यूट रेट्रोभाइरल सिंड्रम (एआरएस) कहा जाता हैं । इस अवधि के दौरान कुछ लोगों मे लक्षण नहि दिखाई देते हैं ।
एच.आई.वी संक्रमण के लिए एन्टीरेट्रोभाइरल थेरापी (एआरटी) शुरु करना जरुरी हैं । तीव्र संक्रमण के अवधि मे आपके शरीर मे एच.आई.वी कि मात्रा तीब्र गति से बढजाने से आप रोग संचरण का उच्च जोखिम माध्यम बनजाते हैं और सिडि ४ कोशिकाओं कि अत्याधिक मात्रा मे नष्ट होने लगती हैं ।
नैदानिक विलंबता
नैदानिक विलंबता अवधि मे विशाणु (वायरस) शरीर में अदृश्य होने के बावजूद भी सक्रिय रहते हैं । इस अवस्था मे विषाणु या वायरस के प्रजनन प्रक्रिया बहुत कम होते हैं कि संक्रमित व्यक्ति मे कोई लक्षण नही या बहुत कम दिखते हैं । इस नैदानिक विलंबता अवधि मे एआरटि उपचारित रोगियों मे कुछ दशकों के लिए देरी होता हैं जबकी अनुपचारित रोगियों मे एक दशक मे ही देखाइ देने लगती हैं । एआरटी उपचारित व्यक्ति मे एच.आई.वी का जोखिम काफी कम हो जाता हैं लेकिन किसी दूसरे व्यक्ति मे रोग संक्रमण होने का खतरा बना रहता हैं ।
एड्स
जब सिडि ४ कोशिकाओं के स्तर मे गंभीर गिराव ( २०० कोशिकाओं प्रति घन मिलिमिटर से निचि) होती हैं तब एक अवसरवादि बिमारी विकसित हो जाती हैं । इसका मतलब आप कि प्रतिरक्षा प्रणाली आपको एच.आई.वी से रक्षा करने मे कमजोर पदजाता हैं ।
अन्तरर्राष्ट्रीय वर्गिकरण के मुताविक कम मात्रा के सिडि ४ कोशीकाओं के गिन्ती के आधार मे एड्स को परिभाषित किया है हालाकी हांगकांग एच.आई.वी निरीक्षण कार्यालय के अनुसार एड्स को परिभाषा मे सिडि ४ कोशीकाओं के गिन्तीके अलावा अवसरवादी विमारी भी समावेश किया गया हैं ।
मानव इम्यूनो वायरस (एच.आई.वी) एक संक्रामक बिमारी हैं जो प्रतिरक्षा प्रणाली को आक्रमण करते हैं । एच.आई.वी संचरण (फैलाने) के सबसे आम मार्ग किसी एच.आई.वी पिडित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संबध रखना और साझा सुई, सीरिंज या इंजेक्शन सामग्री प्रयोग करना हैं । एच.आई.वी स्थिति सकारात्मक या आज्ञात व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संबंनध रखने से अथवा संक्रमित औषध-व्यसनी के साथ सुई आदान-प्रदान करने से आपको एच.आई.वी होने को खतरा हो सकता हैं ।
एच.आई.वी परीक्षण सभी गर्भवती महिलाओं के लिये उपलब्ध होने कि कारण से अभी एच.आई.वी संचरण माँ से शिशु मे न्यून हैं । गर्भावस्था, प्रसव और स्तनपान के दौरान एच.आई.वी संचरण माँ से शिशु मे हो सकता हैं, लेकिन यदि संक्रमित महिला गर्भावस्था के दौरान दवा लें तो संचरण के जोखिम कम हो जाता हैं।
एच.आई.वी निम्न तरीका से भी प्रसारित हो सकता हैं जो कि आजकल असामान्य हैं :
कुछ शरीर के तरल पदार्थ जैसे - रक्त, वीर्य, पूर्व-धातु, गुदा-द्रव, योनी-द्रव और माँ के दूध से एच.आई.वी संक्रमित व्यक्ति से दूसरो व्यक्ति को फैलाता हैं । शरीर के तरल पदार्थ श्लेम-झिल्ली (जैसे मुहं, मलाशय, जननांग क्षेत्र आदि) या टूटी ऊति के संपर्क मे आने से या सीधे खून मे इंजेक्ट करने से एच.आई.वी संचरण होता हैं । इस कारण से त्वचा नही टूटी व्यक्ति और एच.आई.वी दूषित-रक्त के ग़ैर-संपर्क होने की बावजूद भी एच.आई.वी संचरण होता हैं ।
कुछ अन्य शरीर के तरल पदार्थ जैसे थूक, पसीना, आँसू, मल, पेशाव, उल्टी और नाक द्रव आदि के माध्यम से एच.आई.वी संचारित नही होते हैं ।
प्राथमिक एच.आई.वी संक्रमण |
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नैदानिक विलंबता |
नैदानिक विलंबता अवधि के अंत तक विशाणु का स्तर बढते हैं और अधिक गंभीर लक्षण पैदा होते हैं :
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एड्स |
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